Description
जावित्री क्या है?
आपने जायफल के बारे में जरूर सुना होगा। जायफल और जावित्री दोनों मायरिस्टिका फ्रैगरैंस (Myristica fragrans) नामक पेड़ से मिलते हैं (1)। हालांकि, कई बार लोग जायफल और जावित्री दोनों को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। जायफल इस पेड़ का बीज होता है और इसे ढकने वाली रेशेदार परत को जावित्री कहा जाता है। जावित्री का वैज्ञानिक नाम मायरिस्टिका फ्रैगरैंस और अंग्रेजी नाम मेस (mace) है। इसे आम भाषा में जायपत्री के नाम से भी पहचाना जाता है और अन्य मसालों की तरह यह मसाला भी लगभग हर घर की रसोई में पाया जाता है। यह मसाला हल्के पीले, नारंगी या सुनहरे रंग का होता है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि कई वर्षों से औषधीय गुणों के कारण भी इसका उपयोग किया जा रहा है।
1. पाचन तंत्र के लिए जावित्री के फायदे
व्यस्त दिनचर्या के कारण ज्यादा बाहरी खाना या ठीक वक्त पर न खाने से पेट और पाचन संबंधी समस्याएं आम हैं। कई लोग पाचन क्रिया को ठीक रखने के लिए दवाइयों के आदी हो जाते हैं, जो कि सही नहीं है। ऐसे में जावित्री खाने के फायदे लिए जा सकते है। पाचन में जैसे जायफल मदद करता है, वैसे ही जावित्री भी पेट और पाचन के लिए लाभकारी हो सकती है। एक रिसर्च के अनुसार, जायफल और जावित्री दोनों को पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है (1)। हालांकि, जावित्री के इस गुण के पीछे कौन सी क्रिया जिम्मेदार है, इसे लेकर फिलहाल और शोध की आवश्यकता है।
2. डायबिटिज के लिए जावित्री के लाभ
आजकल डायबिटीज आम बीमारी हो गई है, जो किसी को भी हो सकती है। एक वक्त था, जब कुछ लोगों को ही यह समस्या होती थी और एक उम्र के बाद होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। इस स्थिति में जावित्री के सेवन से डायबिटीज की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। दरअसल, जावित्री में एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं। यह अल्फा-एमिलेस (alpha-amylase) नामक एंजाइम को नियंत्रित करके ब्लड शुगर में कमी ला सकता है
3. दांतों के लिए गुणकारी
दांतों की देखभाल जरूरी होती है। अगर दांतों और मुंह के स्वास्थ्य का सही तरीके से ख्याल न रखा जाए, तो इसका असर सेहत पर पड़ सकता है। ऐसे में जावित्री का उपयोग काफी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद मैक्लिग्नन (macelignan) में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटंस नामक बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकते हैं। यह बैक्टीरिया कई दंत रोगों का कारण माना जाता है
4. किडनी को सुरक्षा दे
जावित्री खाने के फायदे किडनी के लिए भी लाभकारी है। जावित्री किडनी संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकती है (1)। जावित्री में मौजूद मैक्लिग्नन (macelignan) नामक यौगिक किडनी के ऊतकों को क्षति से बचा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह पाया गया है कि सूजन और एपोप्टोसिस (कोशिका मृत्यु) को रोकने में मैक्लिग्नन काम आ सकता है और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली को बढ़ा सकता है। जावित्री में मौजूद मैक्लिग्नन के ये गुण किडनी को इस्केमिया-रेपरफ्यूजन इंजरी (एक प्रकार की ऊतक क्षति) से बचा सकते हैं
5. सर्दी-जुकाम में जावित्री के फायदे
मौसम बदलने से सर्दी-जुकाम या बुखार की समस्या सामान्य है। ऐसे में जावित्री एक अच्छा घरेलू उपचार हो सकती है। इसे कई वर्षों से उपयोग भी किया जा रहा है। इसके एंटी-एलर्जी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सर्दी-जुकाम जैसी एलर्जिक समस्याओं से बचाव कर सकते हैं (8)। इसलिए, कई बार सुना होगा कि छोटे बच्चों को जावित्री या जायफल चटाने की बात कही जाती है। हालांकि, शिशु को किस उम्र में और कितनी मात्रा में जावित्री या जायफल देना चाहिए, इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।
6. भूख बढ़ाने में मददगार
कई बार बाहर का खाना खाने से पेट और पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे – एसिडिटी व पेट में संक्रमण हो जाता है, जिस कारण भूख कम हो जाती है। ऐसे में कई बार लोग लगातार दवाइयां लेने के आदी हो जाते हैं, जो ठीक नहीं है। ऐसे में जावित्री के उपयोग से पाचन शक्ति में सुधार हो सकता है और जिससे भूख भी बढ़ सकती है (1)। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
7. लिवर के लिए जावित्री के लाभ
कई बार ऐसा होता है कि बाहर खाना मजबूरी हो जाता है। जिस तरह की आजकल की दिनचर्या है, कभी-कभी लोग शौक के लिए भी बाहर खाते हैं। ऐसे में पेट की हालत दिन-ब-दिन खराब होते चली जाती है। तेल-मसाले वाले खाने का सीधा असर लिवर पर पड़ने लगता है और नतीजा लिवर की समस्या शुरू हो जाती है। इस स्थिति में वक्त रहते खाने-पीने पर ध्यान देना जरूरी है। साथ ही अगर जावित्री का उपयोग किया जाए, कुछ हद तक फायदा हो सकता है। इससे प्राप्त मैक्लिग्नन में हेपटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) गुण पाए जाते हैं, जो लिवर को स्वस्थ रखने का काम कर सकते हैं
8. अर्थराइटिस में जावित्री के फायदे
उम्र के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और शरीर में जगह-जगह दर्द भी होने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ ऐसा होना सामान्य है। ऐसे में इससे बचाव के लिए जावित्री का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, जावित्री में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह सूजन की वजह से जोड़ों में होने वाली समस्या, जिसे रुमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) कहते हैं (1), उससे बचा सकती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस गठिया का ही एक प्रकार होता है।
9. मोटापा घटाए
बढ़ता वजन और मोटापा लगभग ज्यादातर लोगों की समस्या बन चुका है। बाहरी और तैलीय खाना, व्यायाम न करना व सही वक्त पर न खाना इसकी अहम वजह है। जैसे ही मोटापा बढ़ता है, तो कई प्रकार की बीमारियां शरीर में घर करने लगती हैं। ऐसे में वक्त रहते इस पर ध्यान देना जरूरी है। चूहों पर की गई एक रिसर्च के अनुसार, मायरिस्टिका फ्रैगरैंस (जावित्री और जायफल) में एंटी ओबेसिटी गुण पाए जाते हैं। इसके इथेनॉल अर्क में टेट्रा हाइड्रो फ्यूरेंस, लिग्नान, सैपोनिन, टैनिन, फ्लेवोनोइड और पॉलीफेनोल जैसे प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें मोटापा कम करने की संभावना देखी गयी है
10. नींद बढ़ाने में सहायक
कई लोगों को आजकल अनिद्रा की समस्या होती है। काम का दबाव और तनाव के कारण नींद की कमी होना आम बात है। इस स्थिति में लोग नींद की दवा का सेवन करते हैं और उन्हें खुद भी पता नहीं चलता कि कब वो इसके आदी हो गए हैं। ऐसे में घरेलू नुस्खे के तौर पर जावित्री का उपयोग किया जा सकता है। इसका अर्क आरामदायक असर प्रदान कर सकता है, जिसके सेवन से अनिद्रा की परेशानी काफी हद तक ठीक हो सकती है। इसे कई वर्षों से औषधि की तरह उपयोग किया जा रहा है (10)। हालांकि, इसके पीछे जावित्री का कौन-सा गुण जिम्मेदार है, इसके लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
11. हृदय के लिए जावित्री के फायदे
प्लेटलेट्स (रक्त कोशिकाएं), हृदय संबंधी विकारों और स्ट्रोक के जोखिम पैदा करने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। इन रोगों के उपचार और रोकथाम के लिए प्लेटलेट फंक्शन का बाधित होना फायदेमंद साबित हो सकता है। जावित्री में एरिथ्रो एसीटॉक्सी टेट्रामेथोक्सी निओलिग्नान (EATN) नामक एक तत्व पाया जाता है, जिसमें एंटी प्लेटलेट गतिविधि पाई जाती है। इसका सेवन रक्त में प्लेटलेट्स को एक साथ जमा होने से रोक सकता है, जिससे धमनियों में खून का बहाव बिना बाधा के चलता रहे। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि जावित्री अपने एंटी प्लेटलेट्स प्रभाव के चलते हृदय के लिए स्वास्थ्यकारी हो सकती है
12. एंटीइंफ्लेमेटरी है जावित्री
एनसीबीआई में प्रकाशित शोध की मानें तो, सूजन के कारण शरीर कई बीमारियों के चपेट में आ जाता है। जोड़ों में दर्द भी सूजन के कारण ही होता है, ऐसे में जावित्री का सेवन अच्छा विकल्प है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण किसी भी तरह के सूजन से काफी हद तक बचाव कर सकते हैं और शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद कर सकते हैं