Description
अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है। बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की, क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है।
सेवन विधि – सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें, इस नियम का कठोरता से पालन करें। यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, शहद,गौमुत्र,मिश्री,सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले।
मात्रा का निर्धारण उम्र के अनुसार किया जायेगा। जितने वर्ष की उम्र है उतने रत्ती त्रिफला का दिन में एक बार सेवन करना है। 1 रत्ती = 0.12 ग्राम। उदहारण के लिए यदि उम्र 50 वर्ष है, तो 50 * 0.12 = 6.0 ग्राम त्रिफला एक बार में खाना है। बताई गई मात्रा का कड़ाई से पालन करें। मर्ज़ी से या अनुमान से इसका सेवन न करें अन्यथा शरीर में कई प्रकार के उत्पात उत्पन्न हो सकते है।
त्रिफला का पूर्ण कल्प 12 वर्ष का होता है तो 12 वर्ष तक लगातार सेवन कर सकते हैं।
हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास।
1- बसंत ऋतू (चैत्र – वैशाख ) (मार्च – मई)
इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें। शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये।
2- ग्रीष्म ऋतू – (ज्येष्ठ – अषाढ) (मई – जुलाई)
त्रिफला को गुड़ 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
3- वर्षा ऋतू – (श्रावण – भाद्रपद) – (जुलाई – सितम्बर)
इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
4- शरद ऋतू – (अश्विन – कार्तिक) (सितम्बर – नवम्बर)
त्रिफला के साथ देशी खांड 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें ।
5- हेमंत ऋतू – (मार्गशीर्ष – पौष) (नवम्बर – जनवरी)
त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
6- शिशिर ऋतू – (माघ – फागुन) (जनवरी – मार्च)
पीपल छोटी का चूर्ण 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।