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Raw Turmeric Fresh Kachi Haldi with High Curcumin for Golden Milk – 500 grams (500 g)

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹150.00.

General
Brand
  • HUMIC INDIA
Type
  • Whole
Form Factor
  • Whole
Quantity
  • 500 g
Container Type
  • Bag
Gourmet
  • No
Added Preservatives
  • No
Maximum Shelf Life
  • 12 Months
Organic
  • Yes
Ingredients
  • Turmeric
Regional Speciality
  • Himalayan
Nutrient Content
  • Vit A 120 mg, Vit C 2mg
Ready Masala
  • No
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Description

कच्ची हल्दी एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर होती है, जो शरीर को कई संक्रमण से बचाने में मदद कर सकती है. पाचन को बेहतर रखने के लिए आप कच्ची हल्दी का सेवन कर सकते हैं. कच्ची हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं

1. इम्यून सिस्टम मजबूत होता है

रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखने के लिए कच्ची हल्दी का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कच्ची हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक कंपाउंड इम्युनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है, जो इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने वाले टी और बी सेल की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मददगार साबित हो सकता है। इसके अलावा, करक्यूमिन के सेवन से एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं में बढ़ोतरी हो सकती है (1)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि कच्ची हल्दी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

2. ब्लड प्यूरीफाई के लिए

कच्ची हल्दी का उपयोग खून को साफ करने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि हल्दी में ब्लड प्यूरीफायर यानी रक्त को साफ करने के गुण पाए जाते हैं (2)। ऐसे में हम कह सकते हैं कि ब्लड को प्यूरीफाई करने के लिए कच्ची हल्दी का उपयोग किया जा सकता है। फिलहाल, इसकी कार्यप्रणाली को लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

3. इंसुलिन के स्तर को संतुलित

कच्ची हल्दी के फायदे मधुमेह की समस्या को नियंत्रित करने के लिए भी देखे जा सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटी हाइपरग्लाइसेमिक (Antihyperglycemic- खून में ग्लूकोज के स्तर को कम करने वाला) प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है। साथ ही यह इंसुलिन के स्तर में भी सुधार कर सकता है (3)। यही वजह है कि इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने के लिए कच्ची हल्दी का उपयोग लाभकारी माना जा सकता है।

4. एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण

कच्ची हल्दी बेनिफिट्स में संक्रमण से बचाव भी शामिल है। बताया जाता है कि हल्दी एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण प्रदर्शित करता है, जो बैक्टीरियाओं से बचाने में सहायक हो सकता है (4)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि संक्रमण के कारण होने वाली समस्याओं से बचाने के लिए कच्ची हल्दी के गुण काफी लाभकारी साबित हो सकते हैं।

5. एंटीइंफ्लामेट्री गुण

हल्दी के औषधीय गुणों के कारण ही पारंपरिक रूप से इसका उपयोग कई समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता रहा है। वहीं, हल्दी सूजन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में उपयोगी साबित हो सकती है। इस बात की जानकारी एनीसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से मिलती है। इस शोध में बताया गया है कि हल्दी में एंटी इंफ्लामेट्री गुण मौजूद होते हैं, जो सूजन से राहत दिलाने में उपयोगी साबित हो सकते हैं (4)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कच्ची हल्दी भी सूजन से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।

6. कैंसर से लड़ने के गुण

कच्ची हल्दी बेनिफिट्स में कैंसर से बचाव भी शामिल है। इस विषय से जुड़े एक अध्ययन से पता चलता है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक यौगिक में एंटी-कैंसर गुण पाया जाता है। यह गुण कई तरह के कैंसर, जैसे प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर, पेट के कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है (5)। वहीं, पाठक इस बात का ध्यान रखें कि कच्ची हल्दी कैंसर से बचाव में सहायक हो सकती है, लेकिन यह कैंसर का इलाज नहीं है। इसके लिए डॉक्टरी उपचार करवाना बहुत जरूरी है।

7. वजन घटाने के लिए

मेटाबोलिक सिंड्रोम और मोटापा की समस्या को नियंत्रित करने के लिए भी कच्ची हल्दी के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, मेटाबोलिक सिंड्रोम (हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी समस्याओं के जोखिम कारकों का एक समूह, जिसमें मोटापा भी शामिल है) से पीड़ित कुछ लोगों पर किए गए एक शोध में करक्यूमिन का सेवन कमर की चौड़ाई, वजन और बॉडी मास इंडेक्स को कम करने में कारगर पाया गया है (6)। ऐसे में, हम यह कह सकते हैं कि कच्ची हल्दी बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है।

8. जोड़ों के दर्द में कारगर

जोड़ों के दर्द से भी राहत पाने के लिए कच्ची हल्दी उपयोगी साबित हो सकती है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से मिलती है। इस शोध में बताया गया है कि हल्दी का अर्क गठिया रोग के लक्षणों (मुख्य रूप से दर्द और सूजन) को कम कर सकता है (7)। बता दें कि गठिया एक ऐसी समस्या जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन की शिकायत होने लगती हैयही नहीं, एक अन्य शोध में हल्दी में मौजूद करक्यूमिन को जोड़ों की सूजन, सुबह की जकड़न आदि में सुधार करने में प्रभावी पाया गया है (9)। इसके अलावा, हल्दी का तेल एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-आर्थरीटिक प्रभाव भी प्रदर्शित कर सकता है, जिससे आर्थराइटिस की समस्या में कुछ हद तक राहत मिल सकती है (10)। इन तथ्यों के आधार पर यह माना जा सकता है कि कच्ची हल्दी जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकती है।

9. पाचन के लिए कच्चा हल्दी के फायदे

कच्ची हल्दी का उपयोग पाचन की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। इससे जुड़े शोध में पाया गया है कि हल्दी में पाया जाने वाला बायोएक्टिव कंपाउंड करक्यूमिन पाचन से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद हो सकता है। इसमें अपच और दस्त में सुधार करना भी शामिल है। इन लाभों के पीछे करक्यूमिन के एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है (11)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कच्ची हल्दी पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी साबित हो सकती है।

10. लीवर को स्वस्थ रखने में सहायक

लिवर के लिए भी कच्ची हल्दी के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध के अनुसार, हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन लिवर की समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम कर सकता है। इसमें हेपेटोटॉक्सिसिटी (लिवर से जुड़ी विषाक्तता), नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (एक प्रकार का फैटी लिवर डिजीज) और सिरोसिस (लिवर में गंभीर घाव) के साथ-साथ लिवर इंजरी शामिल हैं (12)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि कच्ची हल्दी इन सभी बीमारियों से बचाकर लिवर को स्वस्थ रखने में एक अहम भूमिका निभा सकती है।

11. न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग से बचाने में सहायक

न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग यानी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्या। इसमें अल्जाइमर रोग (भूलने की बीमारी) और पार्किंसंस रोग (नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्या ) के नाम शामिल हैं (13)। कच्ची हल्दी के फायदे में इन समस्याओं से बचाव भी शामिल है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में पता चलता है कि करक्यूमिन इन समस्याओं की रोकथाम में काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे हल्दी में मौजूद करक्यूमिन के एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) और एंटीऑक्सीडेंट (फ्री रेडिकल्स को दूर रखने वाला) प्रभावों को जिम्मेदार माना जा सकता है (14)। यही वजह है कि कच्ची हल्दी को न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग से बचाने में सहायक माना जाता है।

12. पेट के अल्सर में सहायक

पेट में अल्सर के कारण होने वाली परेशानियों से भी राहत दिलाने में कच्ची हल्दी उपयोगी साबित हो सकती है। इसके पीछे भी हल्दी में मौजूद करक्यूमिन को प्रभावी पाया गया है। बताया जाता है कि करक्यूमिन एंटी इंफ्लामेट्री (सूजन को कम करने वाला) और एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों से लड़ने वाला) गुण प्रदर्शित कर सकता है। इसके ये गुण पेट के अल्सर का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद कर सकते हैं, जिससे इस समस्या से कुछ हद तक बचाव मदद मिल सकती है (15)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि कच्ची हल्दी पेट के अल्सर में सहायक सिद्ध हो सकती है।

13. गले में खराश

कच्ची हल्दी गले में खराश की शिकायत को भी दूर करने में लाभकारी साबित हो सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में साफतौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि हल्दी को दूध या फिर पानी में मिलाकर पीने से गले में खराश के उपचार में मदद मिल सकती है (16)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हल्दी दूध का सेवन या फिर सीधे तौर पर हल्दी और पानी का मिश्रण गले में खराश की समस्या को दूर करने में लाभकारी साबित हो सकता है।

14. सर्दी, जुकाम और खांसी

हल्दी एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका उपयोग सदियों से सर्दी, खांसी जैसी कई स्थितियों के लिए किया जाता रहा है (17)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन श्वसन तंत्र विकारों, जैसे – सर्दी, खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है (18)। इसके अलावा, एक अन्य शोध में हल्दी को खांसी खासकर सूखी खांसी के लिए बहुत प्रभावी बताया गया है। इस शोध के मुताबिक, एक गिलास गर्म दूध में आधी चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से खांसी से आराम मिल सकता है (19)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि कच्ची हल्दी सर्दी, जुकाम के साथ-साथ खांसी से भी राहत दिलाने में कारगर सिद्ध हो सकती है।

15. त्वचा विकारों के लिए

सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी कच्चा हल्दी के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध से पता चलता है कि करक्यूमिन त्वचा को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो त्वचा से जुड़ी सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, करक्यूमिन त्वचा से जुड़े घाव को जल्द भरने में मदद कर सकता है और कोलेजन में सुधार कर सकता है। वहीं, शोध में यह भी जिक्र मिलता है कि यह त्वचा से जुड़ी बीमारियों के लिए नॉन टॉक्सिक एजेंट के रूप में काम कर सकता है (20)

इसके अलावा हल्दी में यूवी प्रोटेक्शन प्रभाव भी पाया जाता है, जो त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने का काम कर सकता है (21)। त्वचा में निखार लाना भी बेनिफिट्स ऑफ कच्ची हल्दी ऑन फेस में शामिल है। इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल गुण चेहरे को मुंहासों और पिंपल्स से छुटकारा दिलाकर उसे प्राकृतिक चमक प्रदान करा सकते हैं। साथ ही यह त्वचा से अत्यधिक तेल को भी बाहर निकालने में मदद कर सकती है

16. बालों के लिए

सेहत और त्वचा के अलावा, बालों की देखभाल के लिए भी कच्ची हल्दी फायदेमंद साबित हो सकती है। दरअसल, एक शोध में जिक्र मिलता है कि हल्दी का उपयोग अगर नारियल के तेल में मिलाकर किया जाए तो इससे डैंड्रफ की समस्या के साथ खुजली और बालों के झड़ने की समस्या से भी राहत मिल सकती है (23)। यही वजह है कि बालों के लिए कच्ची हल्दी को लाभकारी माना जा सकता है।

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