Whole Long Pepper, Pipal Badi, Pippali-Vaidehi, (200 g)

Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹280.00. inc GST

In The Boxpack_of1GeneralBrandHUMIC INDIATypeGaram MasalaForm FactorWholeQuantity200 gContainer TypePouchGourmetYesAdded PreservativesNoMaximum Shelf Life18 MonthsOrganicNoIngredientsWhole Long PepperManufactured ByNutrient ContentEnergry: 251 Kcal (For Serving Size: 100g), Carbohydrates: 64g, Fats: 3.3g, Protein: 10g (Approx Values)Ready MasalaNoDimensions

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Description

खांसी और बुखार में पीपली का औषधीय गुण लाभदायक

  • बच्चों को खांसी या बुखार होने पर बड़ी पिप्पली को घिस लें। इसमें लगभग 125 मिग्रा मात्रा में मधु मिलाकर चटाते रहें। इससे बच्चों के बुखार, खांसी तथा तिल्ली वृद्धि आदि समस्याओं में विशेष लाभ होता है।
  • बच्चे अधिक रोते हैं तो काली पिप्पली (kali pipli)और त्रिफला का समान मात्रा लेंं। इनका चूर्ण बना लें। 200 मिग्रा चूर्ण (Pippali churna) में एक ग्राम घी और शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाएं।
  • पिप्पली को तिल के तेल में भूनकर पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे 1/2-1 ग्राम मात्रा में कटेली के 40 मिली काढ़ा में मिला लें। इसे पीने से कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में विशेष लाभ होता है।
  • पिप्पली के 3-5 ग्राम पेस्ट को घी में भून लें। इसमें सेंधा नमक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में लाभ (pipali ke fayde) होता है। 
  • इसी तरह 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण (pippali churna)में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे बच्चों की खांसी, सांसों की बीमारी, बुखार, हिचकी आदि समस्याएं ठीक होती हैं
  • पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज 

  • पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण (pippali churna)बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा लेकर शहद के साथ चटाते रहने से जुकाम में लाभ मिलता है।
  • इसी तरह पिप्पली (pippalu) के काढ़ा में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत (pipali ke fayde) मिलती है।

आवाज (गला बैठने) पर पिप्पली के फायदे

गला बैठने (आवाज के बैठने) पर बराबर-बराबर मात्रा में पिप्पली तथा हर्रे लें। इनका चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को कपड़े से छानकर मधु मिला लें। इसका सेवन करने, तथा इसके बाद तीक्ष्ण मद्य का पान करने से कफज विकार के कारण गला बैठने की समस्या में लाभ होता है।

सांसों के रोग में पिप्पली के फायदे

  • खांसी और सांसों से संबंधित बीमारी में पिप्पली का सेवन लाभ पहुंचाता है। इसके लिए पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण (pippali churna)में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन बार नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है। इसे आपको 10-15 दिन लेना है।
  • पिप्पली (pippalu), पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक, दिन में 3 बार शहद के साथ चटाने से खांसी में लाभ होता है। विशेषकर पुरानी खाँसी व बार-बार होने वाली खाँसी में यह अत्यन्त लाभदायक है।
  • एक ग्राम पिप्पली चूर्ण (Pippali churna) में दोगुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला मिला लें। इसे चाटने से सांसों के रोग, खांसी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस व प्लीहा रोग में लाभ होता है।
  • साइटिका में पीपली के फायदे

  • साइटिका में फायदा लेने के लिए तेल में पीपल और सोंठ को पकाएं। इससे मालिश करने से साइटिका में लाभ होता है।
  • इसी तरह 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण को 100 मिली गौमूत्र और 10 मिली अरंडी के तेल के साथ मिला लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से भी साइटिका  में लाभ होता है।
  • आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण में 2 चम्मच अरंडी के तेल मिला लें। इसे नियमित तौर पर सुबह-शाम सेवन करने से साइटिका  में लाभ (benefits of long) होता है।
  • टीबी में पिप्पली से लाभ 

  • टीबी की बीमारी में 250 ग्राम पीपल और 250 ग्राम गुड़ का पेस्ट बना लें। इसे 1 किलो गाय का घी, 4 ली बकरी का दूध (न मिलने पर गाय का दूध) में धीमी आग पर पकाएं। जब केवल घी मात्र रह जाये तो इसका प्रयोग करें। आपको केवल 1 चम्मच दिन में तीन बार सेवन करना है। इससे लाभ मिलता है। 
  • जहरीले कीड़ों के काटने पर पीपली से लाभ

  • जब जहरीला कीड़ा काट ले तो पिप्पली के प्रयोग से लाभ मिलता है। पिप्पली (pippallu) को पीसकर विषैले जंतुओं के डंक वाले लगाने से बहुत लाभ होता है
  • पिप्पली का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिए। आप बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें

Additional information

Weight 200 g
Dimensions 8 × 8 × 12 cm

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